श्री राम shri Ram की सच्चाई जान कर हैरान हो जाओगे।
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राम के बारे मे सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जनकारी। |
भगवान श्री राम जी bhagvan shri Ram Ji के बारे में वह क्या हैं? पूरी जानकारी।
श्री राम का जन्म कब हवा वैज्ञानिक और ग्रंथ दोनो के अनुसार।
बाल्मीकि रामायण द्वारा आपको बताएंगे कि उन्होंने क्या लिखा राम की तिथि के बारे में उन्होंने लिखा कि चैत्र मास की नवमी तिथि में उर्वशी नक्षत्र में पांचों ग्रह अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चंद्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर राम का जन्म हुआ।
इसके बाद वाल्मीकि जी फिर लिखते हैं जिसमें विष्णु जी देवताओं से कहते हैं कि देवताओं तथा विषयों को माहे देने वाले उस क्रूर राक्षस का नाश करके मैं 11000 वर्षों तक इस पृथ्वी का पालन करता हुआ मनुष्य लोक में निवास करूंगा अर्थात विष्णु जी ने स्वयं कह दिया राम 11000 वर्षों तक पृथ्वी पर रहेंगे अब तो राम का जन्म किस युग में हुआ है इस बारे में हिंदू धर्म और थापा वैदिक धर्म या सनातन धर्म कहता है अनेक नाम है कि त्रेता युग में हुआ है।
उनका जन्म त्रेता युग के अंत में हुआ है यह राम का जन्म युगा अवतार के नाता है तो यह त्रेता युग के अंत में हुआ है इसलिए त्रेतायुग का जो अंत का समय है 11000 उतना समय राम रहे जैसे ही राम गए उसके बाद द्वापर युग शुरू हुआ इसलिए त्रेता युग में जो 11000 साल रहे राम वह मिलाया जाए द्वापर युग के साथ द्वापर युग का कुल समय होता है 864000 साल और द्वापर युग खत्म हुआ है तब कलयुग शुरू हुआ तो कलयुग से अब तक धार द्वापर युग के अंत से 51 वर्ष बीत चुके हैं।
सबको जोड़ें तो कुल हुआ 880100 वर्ष अधिक वेदों पुराणों के अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 880100 वर्ष पहले हुआ है यह बात सत्य है इसी को हमें मानना चाहिए और कोई जो प्रमाण जो आजकल मिलता है वैज्ञानिकों के द्वारा यह लोग जो है।
अब वैज्ञानिक राम जन्म पर क्या कहते हैं इस बारे में भी बात कर लेते हैं एक हुए हैं डॉक्टर पद्माकर विष्णु मराठी शोधकर्ता है वह उन्होंने कहा कि एक दृष्टि से वैदिक राम जन्म समय संभव है उनका कहना यह है कि वाल्मीकि रामायण में एक स्थल पर वर्णित है विंध्याचल तथा हिमालय की ऊंचाई सामान बताया है बाल्मीकि जी ने डॉक्टर पद्माकर विष्णु जी ने कहा कि वर्तमान समय में विंध्याचल की ऊंचाई 2467 फीट और वर्तमान समय में हिमालय की ऊंचाई 29029 फीट तथा उनको यह भी ज्ञात हुआ कि विंध्याचल की नहीं है जबकि वैज्ञानिक मान्यता अनुसार हिमालय की है।
पता चला कि जो हिमालय की ऊंचाई वर्तमान समय में है और विंध्याचल की ऊंचाई है इनमें जब उन्होंने अंतर निकाला तो मिला उनको 26562 फीट अतः जब उन्होंने शोध किया तो पता चला कि 26562 फीट हिमालय को बढ़ने में करीबन 885400 वर्ष लगे होंगे।
अति अब से करीब 885400 वर्ष पहले हिमालय की ऊंचाई और विंध्याचल की ऊंचाई समान रही होगी जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है इस तरह डॉक्टर पद्माकर विष्णु कहते हैं कि इस दृष्टिकोण से यह संभव है परंतु उनका स्वयं यह मानना है कि अन्य किसी सूत्र से राम के जन्म की पुष्टि नहीं कर सकते।
इसके बात कही और विशेषज्ञ राम की तिथि से राम के जन्म के बारे में पता करने की कोशिश करते हैं तो वह एक प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं उन्होंने प्लेटोरियम सॉफ्टवेयर लिया और उसके अनुसार उन्होंने राम का जन्म का समय निकाला तो निकलता है 10 जनवरी 5114 इसापुर लेकिन प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर की एक दिक्कत है कि वह 3000 वर्ष पहले का सही ग्रह गणित नहीं बता सकते थे लेकिन वर्तमान समय में भी जो प्लेनेट होते हैं उनके अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 7114 वर्ष पूर्व हुआ है परंतु आपको फिर से यह बताना चाहते हैं कि यह वैज्ञानिक लोग आज कुछ कहते हैं कल कुछ कहते हैं परसों कुछ और कहेंगे अति उनके शब्दों पर विश्वास करना उचित नहीं होगा हमारे जो वेद कहते हैं कि 880000 वर्ष पहले राम का जन्म हुआ है वह घटना सही है।
राम जी Ram Ji का रहस्य जानकारी जो बोहोत काम लोगो को पता हैं।
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राम का रहस्य जानकारी |
आज हम आपको बताते हैं राम पूजा विधि इसके लिए आवश्यक सामग्री है एक चौकी और लाल कपड़ा अक्षत गणेश जी की मूर्ति तुलसीदल राम दरबार या सीताराम जी का चित्र धूपबत्ती दीपक की बत्ती मिठाई जल पात्र मूली अष्टगंध चंदन या रोली और फूल माला।
- राम पूजा विधि इस प्रकार है चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूजा के स्थान पर चौकी रख लें और चौकी पर राम दरबार का चित्र या सीताराम जी का चित्र स्थापित करें अब गणेश जी की स्थापना के लिए चौकी पर अक्षत से अष्टदल कमल बनाएं इसके लिए चौकी पर अक्षत से गोल घेरा बनाएं और उसमें अष्टदल कमल की आकृति बना ले।
- अब इस अष्टदल कमल पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें आप दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें साथ ही धूप बत्ती भी जलाने अब पहले गणेश जी को नमस्कार करते हुए गणेश पूजा करें कहे यह गणेश जी पूजन के लिए कृपया पधारें और राम पूजा निर्विघ्नं पूर्ण कराएं।
- अब गणेश जी को स्नान कराने के लिए शुद्ध जल से जीते थे वस्त्र के रूप में मूली का टुकड़ा पहना है अब पंचोपचार से गणेश पूजा करें सबसे पहले गणेश जी को दीप दिखाएं फिर दूध दिखाएं फूल चढ़ाएं मिठाई अर्पण करें अंत में अष्टगंध या चंदन या रोली का तिलक लगाएं।
- प्रभु श्री राम की पूजा करें राम दरबार को प्रणाम करके कहें कि प्रभु श्री सीताराम जी लक्ष्मण जी भरत जी शत्रुघ्न जी और हनुमान जी पूजा हेतु पधारे।
- अब पंचोपचार से राम दरबार की पूजा करें सबसे पहले दीप दिखाएं फिर दूध दिखाएं फूल चढ़ाएं मिठाई अर्पण करें अंत में सभी को अष्टगंध चंदन या रोली का तिलक अर्पण करें।
- इसके बाद तुलसी दल विशेष रूप से अर्पण करें अंत में पीने के लिए शुद्ध जल अर्पण करें हाथ जोड़कर कहें श्री सीता लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न हनुमत समेत आयो श्री रामचंद्राय नमः इसके बाद श्रीराम का ध्यान करते हुए उनके मंत्र ओम रामायण नमः या राम रामायण नमः के यथाशक्ति जप करें अब
- यह जब प्रभु श्री राम के चरणों में अर्पण करें कहे कि हे प्रभु यह जब आपके चरणों में समर्पित करता हूं पूजा पूरी करने के बाद विसर्जन करें हाथ में फूल और चावल लेकर चौकी पर छोड़ते हुए कहीं पूजन के लिए पधारने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद पूजन ग्रहण करके कृपया पुणे अपने दिव्य लोग को पधारें
इस प्रकार किया गया पूजन प्रभु श्री राम के चरणों में प्रेम और भक्ति प्रदान करता है।
राम जी ( Ram Ji ) की पूजा करने की सबसे खास बाटे जो कम लोग ही जानते हैं।
अत्याचारों से धरती पर पाप बहुत अधिक बढ़ गया ब्रह्मा से लेकर धरती इंद्रदेव और ऋषि-मुनियों तक सभी भगवान विष्णु के समक्ष पहुंचे सभी ने कहा कि प्रभु पृथ्वी पर सत्य और धर्म का नाश हो रहा है आप बढ़ रहा है, राक्षसों का राजा रावण अपने अहम और अत्याचारों से तीनों लोगों को अपने पांव तले रौंदे ना चाहता है।
यह सच्चिदानंद आना और मनुष्य कोई भी उसका सामना नहीं कर सकता क्योंकि महादेव और ब्रह्मा से उसे वरदान प्राप्त है, कि देशदाना ना किन्नर गंधर्व कोई भी उसे नहीं मार सकता कृपया आप हम सबकी रक्षा करें द महादेव भी वहां पधारें।
जब ऐसी स्थिति हो तब किसी मां शक्ति का अवतार लेना आवश्यक हो जाता है तब भगवान विष्णु ने कहा कि पापी के पाप में ही उसका नाश छुपा होता है यदि रावण यह समझता है, कि इस पूरे ब्रह्मांड में उस से बढ़कर कोई शक्ति नहीं रहे तो उसका नाश भी उसके इसी अहंकार में छुपा हुआ है, अपने अहंकार के कारण उसने वरदान मांगते समय वानर और मनुष्य के हाथों में मरने का वरदान नहीं मांगा था।
इस बालक को वह कुछ समझता है उसी सामान्य मानव रूप में में अवतार लेकर उसका अहंकार चूर करूंगा भगवान विष्णु ने कहा कि मैं अपनी कलाओं सहित अयोध्या नरेश दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लूंगा और पृथ्वी की रक्षा करूंगा जिससे धर्म और सत्यपाल अकों को यह विश्वास है कि अंत में सत्य की विजय होती है।
सृष्टि में केवल सत्यमेव जयते ही भेजेगा एक बार राजा दशरथ और उनके गुरु महर्षि वशिष्ठ उनके महल में सूर्य देव की स्तुति कर रहे थे, महर्षि ने कहा राजन आज सूर्य देव उत्तरायण में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए आज का दिन बहुत शुभ है इस मुहूर्त में आप अपने कुलदेवता से जो मांगेंगे वह आपको अवश्य मिलेगा।
राजा दशरथ ने एक पुत्र की नाम की राशि ने कहा कि राजन आप को यह वरदान अवश्य प्राप्त होगा परंतु उसके लिए यह कि यज्ञ का आयोजन करना होगा यह यज्ञ अथर्ववेद के ज्ञाता ऋषि श्रृंग बनी जो इस यज्ञ के विशेषज्ञ हैं के द्वारा ही संपन्न होना चाहिए।
राजा दशरथ ने कहा कि ऋषि श्रृंगी जैसे महान योगी को लेने में बिच्छू की भांति नंगे पांव जाऊंगा ऋषि श्रृंगी राजा दशरथ का समर्पण भाव देखकर प्रसन्न हुए और यज्ञ करने के लिए पधारे यज्ञ के समय कुंडली से अग्निदेव प्रकट हुए और चीज से भरा एक पात्र राजा दशरथ को प्रदान किया।
यह ठीक कौशल्या कैकेई और सुमित्रा तीनों रानियों ने ग्रहण की और तीनों रानियां गर्भवती हुई उधर ब्रह्मा जी ने इंद्र को आदेश दिया कि भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लेने का संकल्प ले लिया है आप सभी देवी देवताओं को पृथ्वी पर मानव रूप में जन्म लेकर प्रभु की सेवा करने का आदेश है मधु मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
शुभ मुहूर्त जब ना तो अधिक ठंड थी और ना ही अधिक गर्मी में दशरथ रानी कौशल्या ने पुत्र को जन्म दिया चारों और बधाई और आनंद का वातावरण या कुछ समय पश्चात ही मंत्रालय राजा दशरथ को सूचना दी कि कैकेई ने पुत्र को जन्म दिया है उसके कुछ देर पश्चात दोनों ने महाराज को सूचना दी कि महारानी सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया है।
महाराज की प्रसन्नता का ठिकाना न था और इस प्रकार राजा दशरथ के चार पुत्र राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न का जन्म हुआ था चारों राजकुमारों का नामकरण महर्षि वशिष्ठ द्वारा किया गया गुरु वशिष्ठ ने नामकरण के समय यह भविष्यवाणी भी की कि चारों भाइयों में अत्यधिक प्रेम होगा।
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न की जोड़ी दो शरीर एक कान जैसी होगी और इस प्रकार भगवान राम ने इस संसार में जन्म लिया और अच्छाई पर विजय का संकेत दिया इस लिए पूजा जाता है। भगवान श्री राम जी को।
राम जी Ram Ji के विचार राजनीति के ऊपर कैसे थे।
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राम जी Ram Ji के विचार राजनीति के ऊपर कैसे थे। |
श्रीराम के चरित्र में बंद पर मर्यादा त्याग प्रेम और लोक व्यवहार के दर्शन होते हैं राम ने साक्षात परमात्मा होकर भी मानव जाति को मानवता का संदेश दिया उनका पवित्र चरित्र लोकतंत्र का पहरी उत्प्रेरक और निर्माता भी है।
- मनुष्य के जीवन में आने वाले सभी संबंधों को पूर्ण तथा उत्तम रूप से निभाने की शिक्षा देने वाले प्रभु श्री रामचंद्र जी के समान दूसरा कोई चरित्र नहीं है श्री राम का चरित्र मनुष्य के लिए प्रकाशमान दीप स्तंभ है भगवान राम मर्यादा के परम आदर्श के रूप में प्रतिष्ठित हैं श्री राम सदा कर्तव्यनिष्ठा के प्रति आस्थावान रहे।
राम का सकल पसारा एक राम है सबसे न्यारा लेकिन आज हर इंसान जल्द से जल्द सुख सुविधाओं की प्राप्ति की लालसा के कारण अनेक समस्याओं और परेशानियों से जूझ रहा है।
- यह समस्याएं लोगों के चरित्र को प्रभावित करती हैं ऐसे में अधिकतर व्यक्ति समस्याओं और परेशानियों के दबाव में अपने चरित्र को दांव पर लगा देते हैं।
जिंदगी में समस्याओं और परेशानियों का भी अपना एक अनूठा महत्व है यदि व्यक्ति साहस धैर्य और इमानदारी से परेशानियों का मुकाबला करें तो वह न सिर्फ अपनी परेशानियों को दूर हो जाता है बल्कि सफलता को भी अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लेता है।
ऐसे में उसका चरित्र और अधिक निखर उठता है जिस प्रकार सोना आग में तप कर और अधिक निखरता है उसी तरह चरित्र भी कठिन परिस्थितियों और संघर्ष का सामना करते हुए अधिक निकल कर आता है सामान्य परिस्थितियों में तो सभी अपने चरित्र को संभाल कर रखने का दावा करते हैं।
लेकिन जब हालात विपरीत हो उस समय अपनी सूझबूझ दया और शालीनता को बरकरार रखना अधिक महत्वपूर्ण होता है कांच को तोड़ देता है पर लोहे का कुछ नहीं बिगाड़ इसका अर्थ है कि शुद्ध और चलने वाला व्यक्ति अपने चरित्र के साथ कभी समझौता नहीं करता।
- कहते हैं कि योग्यता की वजह से सफलता मिलती है और वह चरित्र ही है जो सफलता को संभालता है जो सफल व्यक्ति अपने चरित्र को नहीं निकालते सफलता भी उनके पास ज्यादा देर तक नहीं टिक टिक ऐसे लोग जल्द ही गुमनामी के अंधेरे में गुम हो जाते हैं।
राम जी Ram Ji को क्यों सीता माता को छोड़ना पड़ा?
रामायण में भगवान राम के बेहद करीब ले जाता है भगवान राम जैसा मर्यादा पुरुषोत्तम आज तक नहीं हुआ रामायण की कथा के मुताबिक भगवान श्रीराम को 14 साल का बनवास मिला था।
और 14 साल के वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ थे वही पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब राम लक्ष्मण और सीता वनवास काट रहे थे इस दौरान लंकापति रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था।
2 साल तक माता सीता रावण के कैद में थी आखिर में भगवान राम ने रावण से युद्ध कर उसे हराया और तब माता सीता को रावण के कैद से मुक्त कराया।
माता सीता को अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा था परीक्षा भगवान राम ने ली थी बताया जाता है कि लंबे समय तक रावण की कैद में रहने के बाद माता सीता राम के साथ अयोध्या लौटे होने लगा था।
लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि माता सीता पहले की तरह ही पवित्र और सती है इस बात की पुष्टि और अयोध्या की रानी के रूप में स्वीकार करने से पहले माता सीता को अग्नि परीक्षा देकर अपनी पवित्रता को सिद्ध करने के लिए कहा गया जिसके बाद अपनी प्रजा का मान रखने के लिए खुद भगवान राम ने माता सीता की अग्नि परीक्षा ली।
एक धोबी ने कहा कि सीता को अयोध्या की रानी बनाना सही नहीं है क्योंकि वह काफी समय तक रावण की लंका में रह कर आई है श्री राम सीता जी की परीक्षा नहीं देना चाहते थे कि बात को ध्यान में रखते हुए फिर से ये फैसला लेना पड़ा।
हर कोई जानता है कि भारतीय समाज में सीता को एक पवित्र और आदर्श नारी का दर्जा प्राप्त है लेकिन समाज में यह धारणा भी प्रचलित है कि समाज के उठाए गए सवालों के चलते हैं और अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए भगवान राम ने माता सीता का त्याग कर दिया था।
इस प्रकार श्री राम को माता सीता को चोढना पढ़ा भगवान राम ने माता सीता का त्याग किया था और माता सीता की परीक्षा देने के बाद माता सीता को अयोध्या छोड़ कर जाना पड़ा।
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