Sai Baba साईं बाबा के बारे में सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जनकारी।
नमस्कार दोस्तो स्वागत है, आप सभी का मेरे इस ब्लॉग में जहा पर आप इस ब्लॉग में साईं बाबा के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हो। साईं बाबा कोन है, उनका क्या रहस्य है, उनकी पूजा करने की विधि क्या है, उने कैसे हम प्रसन्य करे पूरी जानकारी के साथ बने रहिए इस ब्लॉग में सुरु से लास्ट तक धन्यवाद।
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Sai Baba साईं बाबा का रहस्य जान कर हैरान हो जाओगे। |
सांई बाबा ( sai Baba ) के बारे में वह क्या हैं? पूरी जानकारी।
हिंदुस्तान के लाखों लोग शिर्डी के साईं बाबा की पूजा करते हैं शिर्डी के साईं बाबा अक्सर अपनी पहचान को लेकर चर्चा में रहते हैं कभी उनके जन्म स्थान को लेकर बहस होती है तो कभी इस बात को लेकर के साईं बाबा हिंदू थे या मुसलमान।
साईं बाबा को लेकर दो किताबें देखने को मिलती है सन 1922 में हेमंत पर द्वारा लिखी गई थैंक्स चरित है तो दूसरी किताब नरसिंह स्वामी द्वारा लिखी गई जिसका नाम है लाइफ ऑफ साईं बाबा।
मान्यता है कि साईं बाबा का जन्म महाराष्ट्र के पाथरी गांव में 28 सितंबर 1835 की कोई ब्राह्मण परिवार में हुआ था साईं बाबा के भक्तों महालसापति के अनुसार साईं बाबा जब 5 वर्ष के थे तब उनके मां-बाप ने उन्हें मुस्लिम फकीर किया था।
दस्तावेजों के अनुसार शिर्डी में साईं बाबा को पहली बार सन 18 सो 44 में देखा गया उस समय उनकी उम्र मात्र 16 वर्ष पेड़ के नीचे तपस्या में लीन साधना में लीन इस बालक को देख कर गांव वालों को आश्चर्य हुआ।
और धीरे-धीरे साईं की लोकप्रियता पूरे गांव में फैल गई समय बादशाहियां तो चले गए और फिर चांद पाटिल नामक व्यक्ति की बारात के साथ वापस शिर्डी ली पहुंचे गांव वालों ने उनका स्वागत किया और उनके भक्तों ने साइन किया कर संबोधित किया और तभी से धीरे-धीरे शिर्डी में साईं बाबा के बुलाया जाने लगा।
खेताराम साईं बाबा ने यह टूटी फूटी मस्जिद कब का निवास स्थान बनाया द्वारकामाई नाम दिया, साईं बाबा को हिंदू मानने वाले धड़े का ऐसा मानना है कि साईं बाबा हाथ में कमंडल पकड़ते थे टीका लगाते थे उनके कानों में छेद थे और वह धूनी रमाते थे यह सब गुड नाथ संप्रदाय के संत पाए जाते हैं। यह सब गुड नाथ संप्रदाय के संत में पाए जाते हैं तो इस हिसाब से देखा जाए तो साईं बाबा हिंदू थे जब के साईं बाबा को मुसलमान मरने वाले का मानना है कि भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है संत में मुसलमान सन्यासियों के लिए यही शब्द प्रयोग किया जाता था इस तबके का मानना है कि साईं का पहनावा एक मुसलमान फकीर के जाता था और उन्होंने अपने रहने के लिए भी एक मस्जिद को ही चला था।
साई के नाम पर लड़ने झगड़ने वाले या साईं को हिंदू या मुसलमान बताने वाले साईं से नफरत करने वालों को साईं द्वारा दिए गए संदेश पर अमल जरूर करना चाहिए साईं सबका मालिक एक है कि बात करते थे और उनका मानना था कि राम और रहीम दोनों एक ही है।
अज्ञानी लोगों में एक साथ आकर दोनों धर्मों के लोगों को मिल जुल कर रहना चाहिए।
सांई बाबा ( sai Baba ) की पूजा विधि कैसे होती हैं एक बहेतरीन पूजा विधि।
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सांई बाबा की पूजा विधि कैसे होती हैं एक बहेतरीन पूजा विधि। |
चौकी पर पीले कलर का आसन लिया है अभी शासन को हम शुद्ध कर लेंगे गंगाजल से आप चाहे तो घर के मंदिर में भी पूजा कर सकते हैं या अलग से चौकी भी लगाकर साईं बाबा की पूजा कर सकते हैं उसके बाद हम थोड़े से एक शर्त रखेंगे और इस अवसर पर हम दीपक को राशन देंगे।
मैंने जो तिल के तेल का दीपक लिया है और इस दीपक के हम पूजा करेंगे आप चाहे तो देसी घी का दीपक भी जला सकते हैं उसके बाद हम गंगाजल से शुद्ध करण करेंगे दीपक में और दीपक में मेहंदी लगाएंगे चंदन लगाएंगे और रोली का किला करेंगे और अक्सर आएंगे दीपक में।
उसके बाद हम दीपक में फूल भी अर्पित करेंगे आप चाहे तो दीपक की पूजा दीपक जलाने के बाद भी कर सकते हैं पूनम ने अर्पित कर दिए हैं उसके बाद साईं बाबा का नाम लेंगे और दीपक प्रचलित करेंगे और थोड़े से हमने एक शर्त रखे हैं साईं बाबा को विराजमान करेंगे और यह साईं बाबा की फोटो ली है अगर आपके पास ऐसी फोटो है तो आप फोटो अगर मूर्तियां तो मूर्ति से भी आप पूजा कर सकते हैं।
बाबा का में स्नान कर आएंगे अगर आपके पास मूर्ति है तो पंचामृत से स्नान कराएं उसके बाद में पीला वस्त्र पीने आएंगे हल्दी रोली और चंदन का तिलक करेंगे इतने लगाएंगे और मूली बनाएंगे और बाबा कौन पीले फूल अर्पित करेंगे बाबा की पूजा में पीले जिसका बहुत ही महत्व होता है और मैंने वह बुला लिया है और थोड़ा सा डालेंगे भी जो भी आपकी श्रद्धा है।
के बाद हम दक्षिणा लेंगे जो भी आपकी सदा दर्शन जरुर चढ़ाएं पूजा में उसके बाद हम बाबा को दूध दिखाएंगे फिर हम हाथों में फूल और अक्षत लेंगे और साईं बाबा की व्रत की कथा करेंगे और साईं बाबा के व्रत की कथा होने के बाद अक्षत और फूल हम साईं बाबा के सामने छोड़ देंगे उसके बाद हम आरती करेंगे साईं बाबा की तो मैं यहां देसी घी के दीपक से आरती कर रहे हो आप चाहे तो साईं बाबा की कपूर से भी आरती कर सकते हैं।
आरती हो गई है आरती में तीन बारी जल से आदमी नहीं करेंगे उसके बाद हम साईं बाबा का आरती देंगे फिर हमें भी तीन बार ही जल्द से आज मैं नहीं करेंगे।
वह में आप बाबा को बेसन का लड्डू हलवा खीर कढ़ी चावल जो भी आपकी सरकार बाबा को भूख लगा है इसलिए कभी भूख लगा सकते हैं बाबा को अगर आपके पास कुछ नहीं है तो बता दे अभी हम लोग शिकार करने के लिए कहेंगे कि बाबा मारा वह शिकार करें।
हाथों में फूल और अक्षत लेंगे और बाबा से हम प्रार्थना करेंगे यह साईं बाबा हम से पूजा में किसी प्रकार की कोई गलती हुई तो क्षमा करना पूजन की सामग्री में कोई कमी घटी हो तो शमा करना और फूल हम बाबा के सामने ही छोड़ देंगे उसके बाद हम साईं बाबा से प्रार्थना करेंगे हाथ जोड़कर।
इसके बाद हम बता देंगे और हम दीपक पर भी हाथ जोड़ेंगे थोड़ा सा जन्म अपने आश्रम के नीचे लगा कर मत माथे से लगाएंगे और आरती पूरे घर में दिखा देंगे।
सांई बाबा ( sai Baba ) को कैसे प्रसन्य करे? प्रसन्य करने के बोहोत अच्छे उपाय।
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सांई बाबा का रहस्य जो बोहोत कम लोगो को पता हैं। |
शिरडी वाले साईं बाबा यह लफ्ज़ अपनी जुबां पर लेते हुए भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए दौड़े दौड़े चले जाते हैं आपको बता दें कि साईं बाबा के दुनिया के कोने कोने में लाखों-करोड़ों भाग है जो उनकी भक्ति के लिए तरसते रहते हैं और सच्चे मन से उनकी भक्ति करते हैं।
बाबा के संदर्भ में ऐसा माना जाता है कि वह अपने दर पर आए हर एक भक्तों की मुराद को पूरी करते हैं जो भी सच्चे मन से बाबा से मन्नत मानता है बाबा उसकी झोली में खुशियां भर देते हैं।
रही बात बाबा से इच्छा पूर्ति के लिए मुरारी मांगते हैं लेकिन खासतौर पर गुरुवार के दिन भक्त भावर से दिल खोलकर दुआएं मानते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि बाबा स्वयं भक्तों को गुरुवार एवं शुक्रवार को अराधना करने की सलाह देते हैं।
अनुसार गुरुवार का दिन हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है तथा शुक्रवार का दिन इस्लाम में एक पाठ दिन है जिस दिन मुस्लिम नवाज पढ़ते हैं और बाबा के अनुसार अल्लाह को शुक्रवार का दिन सबसे प्रिय है इसलिए इस दिन पूरे मन से दुआ मांगी चाहिए।
बाबा ने हमेशा ही एक संवाद को बढ़ावा दिया है एकता को बढ़ावा दिया है भक्तों ने उनके मुख से हरदम सबका मालिक एक जैसे लगते हैं और इस आधार से वह सभी दिनों को एक बराबर ही मानते हैं लेकिन भक्तों की श्रद्धा देखते हुए उन्होंने गुरुवार के दिन प्रभु की आराधना को अधिक महत्व दिया है।
इस आज भक्त इस दिन पूजा पाठ एवं व्रत रखकर बाबा से अनेकों मुरादे मानते हैं लोग बाबा को खुश रखने के लिए पूर्ण विधि विधान के साथ व्रत रखते हैं कहते हैं कि साईं बाबा व्रत को कोई भी साधारण इंसान कर सकता है यहां तक कि बच्चे भी इस व्रत को आसानी से कर सकते हैं।
क्योंकि बाबा अपने भक्तों की भूल को जल्दी माफ कर देते हैं और ऐसी मान्यता है कि साईं बाबा व्रत एक बार शुरू करने के बाद नियमित रूप से 9 गुरुवार तक किया जाना चाहिए तभी फलदाई साबित होता है यह लेकिन फिर भी ऐसा माना जाता है कि बाबा अपने भक्तों की पुकार पर भी उनकी इच्छा पूरी कर देते हैं।
बाबा की व्रत को रखने की विधि बेहद ही आसान है सही आपको बताते हैं।
- उन विधि के बारे में इसके प्रातः स्नान करने के बाद साईं बाबा की फोटो की पूजा की जाती है बाबा की फोटो लगाने के लिए पीले रंग का वस्त्र बिछाया जाता है और उनकी फोटो पर फूलों की माला भी चढ़ाई जाती है बाबा की फोटो को स्वच्छ पानी से पहुंचकर इस पर चंदन का तिलक भी लगाया जाता है इसके बाद बाबा की फोटो के सामने अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा पढ़नी चाहिए।
- साईं बाबा का स्नान करना चाहिए इसके बाद बेसन के लड्डू या फिर किसी भी मिठाई का विषाद बाबा का भोग लगाकर करना चाहिए और उसको सभी में बांटना चाहिए अन्यथा बाबा के व्रत में भूखे नहीं रहना होता है इस व्रत को फलाहार ग्रहण करके भी किया जा सकता है या फिर रात्रि के समय भोजन करके किया जा सकता है इस व्रत में कुछ ना कुछ खाना जरूरी है मुकेश को नहीं किया जाता है लेकिन व्रत के अलावा और कौन से तरीके हैं जिनसे आप बाबा को प्रसन्न करके अपने मन की इच्छा पूरी कर सकते हैं।
- बाबा के परम भक्तों को बाबा की प्रसन्न एवं नापसंद की सारी जानकारी होती है वह कभी भी किसी के साथ होने वाला अन्याय बर्दाश्त नहीं करते हैं वह कभी नहीं चाहते हैं कि उनका कोई भी भूखे पेट से अपने भक्तों को दुखी देखकर खुद भी दुखी हो जाते हैं लेकिन बाबा को क्या पसंद है इसकी भी जानकारी हम आपको अवश्य देंगे ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा को पालक बेहद पसंद है इसलिए बस गुरुवार के दिन बाबा को पालक का चढ़ावा चढ़ाते हैं।
प्रसन्न करने का दूसरा तरीका यह है उन्हें कुछ मीठा अर्पित करना अक्सर बाबा के भक्त बाबा को मिठाई में हलवा चढ़ाते हैं इसके अलावा बाबा को खिचड़ी भी अर्पित की जाती है भक्तों ने खाद्य पदार्थ को चढ़ाते हुए एक बात का जरूर ध्यान रखती है कि इन सभी में नारियल का स्माल जरूर हो क्योंकि नारियल बाबा को बहुत ही प्रिय है और उन्हें बेहद पसंद है।
मेरे के अलावा बाबा को मीठे फल भी बहुत पसंद है यदि आप गुरुवार के दिन पूजा करने के बाद मां-बाप को मीठे एवं ताजे फल अर्पित करेंगे तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होगी इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि बाबा फूलों के प्रति बेहद लगाव रखते हैं वह अपने आसपास रंग-बिरंगे फूलों को देखकर बहुत ही प्रसन्न होते हैं फूल चाहे कोई भी हो बस बाबा उन्हें देखकर खुश हो जाते हैं इसलिए वह गुरुवार के दिन बाबा को रंग-बिरंगे फूलों की माला भी अर्पित करते हैं।
सांई बाबा ( sai Baba ) का रहस्य जो बोहोत कम लोगो को पता हैं।
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सांई बाबा का रहस्य जो बोहोत कम लोगो को पता हैं। |
महाराष्ट्र के पैतृक गांव में साईं बाबा का जन्म 27 सितंबर 1830 को हुआ था कि जन्म स्थान पाथरी पर एक मंदिर बना है मंदिर के अंदर की आकर्षक मूर्ति रखी है यह बाबा का निवास स्थान है। जैसे देवी-देवताओं की मूर्तियां है सबका मालिक एक साईं बाबा सच में भगवान है या वह ढोंगी थे।
पहली बात क्या साईं बाबा ढोंगी थे,ढोंगी किसे कहा जाता है हर इंसान का एक उद्देश्य होता है जिसे हासिल करने के लिए लोगों का विश्वास जीतकर अपना उद्देश्य पूरा कर लेते हैं।
लोगों को धोखे में रखते हैं लोगों का विश्वासघात करना यह ढोंगी आदमी का लक्षण होता है इसका जीवन स्वास्थ से भरा हुआ होता है।
- वाराणसी कहा जाता है कि साईं बाबा का असली उद्देश्य एक विशिष्ट धर्म का प्रचार और प्रसार करना था धर्म को बदलना बढ़ावा देना जाना है इसलिए ऐसे सवाल बड़े-बड़े तर्कशास्त्र लोग उठाते हैं चमत्कार को ना मानने वाले यानी कि वैज्ञानिक साईं बाबा को चला कि करने वाला जादूगर कहते हैं जो जादू दिखा कर लोगों को भ्रमित करता था।
- सवालों के जवाब से बात विवाद उत्पन्न हो सकता है इसलिए इनके जवाब नहीं देंगे दूसरी बार क्या साईं बाबा भगवान साईं बाबा में भगवान जैसे गुण थे,
साईं बाबा में कोई भगवान जैसे गुण नहीं थी वह तो खुद को महज एक फकीर समझते थे अल्लाह भला करेगा यह बार-बार बोलते थे यहां से भी बड़ा कोई है बार-बार दिखाते थे इसका मतलब भगवान कोई और है जो हमारा भला करेगा उनका जीवन का उद्देश्य क्या था आज तक स्पष्ट नहीं है।
- दौलत शोहरत अगर वह चाहते तो उनकी दासी बन जाती हर तरह के सुख लोग उनको देने के लिए तैयार थी, टूटी फूटी मस्जिद में रहे कपड़े खाना रहना सब कुछ मिल जाता को ज्यादातर लोग अपनी परेशानियां लेकर उनके पास आते हैं।
- उनके बारे में कुछ भी नहीं कहा।
उल्टा अंग्रेजों से परेशान थी कि यह लोगों का एकीकरण कर रहा है उन पर इल्जाम लगाने के लिए कार्य स्थान नीचे जाने वालों की कमी नहीं थी और उन पर चलने वालों की भी नहीं अगर वह ठोकर जलने वाले सबूत के साथ में पेश करते।
- इंसान उनकी मानसिकता ऐसी है कि वह अच्छाई से पहले बुराई पर ज्यादा विचार करता है इंसान की प्रतिष्ठा गलत कर देता है और ज्यादा दिन नहीं छूटता साईं बाबा का एक बुरा विचार भी उन्हें सवालों के घेरे में लाता था धूम तो बहुत दूर की बात है चलो चमत्कारों को हाथ जला की मांग कर छोड़ दिया जाए।
- लेकिन आदमी जिया कैसे मरा कैसे मरने के बाद उसके पास क्या था क्या मिला सब कुछ बाहर आ जाना है उनके जीते जी भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही थी और आज भी बढ़ती जा रही है। इंसान के लक्षण कतई नहीं इस जागरण में जरूर है।
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