Vishnu Dev विष्णु देव की पूरी सच्चाई जान कर हैरान हो जाओगे।
नमस्कार दोस्तो स्वागत है, आप सभी का मेरे इस ब्लॉग में जहा पर आप इस ब्लॉग में विष्णु देव के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हो। विष्णु देव कोन है, उनका क्या रहस्य है, उनकी पूजा करने की विधि क्या है, उने कैसे हम प्रसन्य करे पूरी जानकारी के साथ बने रहिए इस ब्लॉग में सुरु से लास्ट तक धन्यवाद।
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विष्णु देव की पूरी सच्चाई जान कर हैरान हो जाओगे। |
विष्णु देव Vishnu Dev के बारे में वह कौन हैं? पूरी जानकारी।
शिव पुराण के अनुसार ले काल में काशीपुर के आनंद रूप वन में शिवा शिवा रमन कर रहे थे, उस वक्त शिव के मन में यह इच्छा उत्पन्न हुई किसी दूसरे पुरुष की सृष्टि भी करनी चाहिए जिस पर सृष्टि के निर्माण का कार्य भार रखकर में हम निर्माण धारण कर सकें।
ऐसा निश्चय करके शक्ति सहित परमेश्वर यूपी शिव ने अपने वा मांग पर अमृत मल दिया फिर वहां एक पुरुष प्रकट हुआ फिर शिव ने उन्हें संबोधित किया हुआ व्यापक होने के कारण तुम्हारा नाम है विष्णु विख्यात होगा इस प्रकार विष्णु के पिता और माता का रूपी सदस्य और पर शक्ति दुर्गा है।
दोस्तों आप सभी ने श्री विष्णु जी का चित्र तो देखा होगा जिसमें और सर पर लेटे हैं उनकी चार भुजाएं हैं उनके मुकुट में मोर पंख है और उनके छाती पर श्री वस्ता लगाएं आपने कभी ध्यान तो नहीं दिया होगा पर यह सब अकारण ही नहीं है सब के पीछे पार्थ है।
आज मैं आपको अर्थ बताऊंगा सर्वप्रथम मैं आपको उनकी चार भुजाओं का पता था उनकी पहले पूजा का अर्थ है ज्ञान की खोज दूसरा पूजा पारिवारिक जीवन को दर्शाता है तीसरा हवन में वापसी और चौथा सन्यास का बोध कराता है।
एवं उनके कानों में दो कुंडल दो विपरीत चीजों को दर्शाते हैं जैसे ज्ञान और अज्ञान सुख और दुख और उनके मुकदमे लगा मोर पंख उनके कृष्ण अवतार को दर्शाता है।
उनके छाती पर लगा श्रीवास्तव लक्ष्मी जी के लिए उनके प्रेम को दर्शाता है ऐसा माना जाता है कि विष्णु जी के नाम पर लेटे हुए रूप का अर्थ है कि मनुष्य को सुख और खुशियों के साथ साथ में कई समस्याओं को उसी वक्त उन से गुजरना पड़ता है।
यानी सुख के साथ दर्द भी इसलिए जीवन के इस सच को वह सांपों के ऊपर लेट कर मुस्कुराते हुए दर्शाते हैं पुराणों के अनुसार श्री विष्णु के 10 अवतार लिए हैं जिन्हें हम दशावतार कहते हैं इनमें सर्वप्रथम मत्स्य बता रहे हैं एवं द्वितीय कुमरावत आर तृतीय वाराह अवतार है और चौथा नरसिंह अवतार है पांचवा वामना अवतार है।
छोटा रामावतार सातवां कृष्णावतार आत्मा परशुराम अवतार नमो बुद्ध अवतार है एवं दशमा कल्कि अवतार कल की पुराणों के अनुसार यूपी के मुरादाबाद जिले के संभल नामक स्थान पर विश्नोई शाह नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र के रूप में जन्म लेंगे वह देवदत्त नाम के घोड़े पर सवार होकर पापियों का विनाश करेंगे।
विष्णु देव ( Vishnu Dev ) को कैसे प्रसन्य करे? प्रसन्य करने के बोहोत अच्छे उपाय।
दोषों को नष्ट करने वाले अत्यंत प्रभाव कारी विष्णु मंदिर के बारे में मैं आपको बताने जा रही हूं यह मंत्र अत्यंत लाभकारी और प्रभाव कारी है यदि सच्चे मन से आप भगवान विष्णु के इस मंत्र को करेंगे तो उसका प्रभाव आपको तुरंत ही देखने के लिए मिलेगा।
श्री श्री भगवान विष्णु का महामंत्र समुंद्र मंथन से जुड़ा हुआ है और धन्वंतरी भगवान जो समुद्र मंथन से प्रकट हुए कहते हैं कि विष्णु भगवान के 3 नाम लेने से सारे रोग नष्ट हो जाते हैं यह मंत्र भगवान श्री विष्णु के 3 नाम पर आधारित है।
तीन नामों के मंत्र का जाप करने की चार विधियां मैं आपको बताना चाहूंगी आप चाहें तो उन चारों विधियों का प्रयोग करें और यदि चाहे तो एक विधि का प्रयोग करें लेकिन करें बिल्कुल सच्चे मन से जिस समय भी आप जो मंत्र में बताऊंगी उसका जाप करना शुरू करें तो आपके मन में ईश्वर के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए बहुत बार ऐसा होता है कि हम यह कहते हैं कि हमने बहुत सारी पूजा की पाठ की परंतु हमें फल नहीं मिला विश्वास के साथ किसी कार्य को करते हैं तो उसमें सफलता आपको अवश्य मिलती है यह एक ऐसा महामंत्र है जिसके जाप करने से आपको जरुर सफलता मिलेगी सारे लोग आपके शरीर के नष्ट हो जाएंगे और जो भी है दोष है वह सब समाप्त हो जाएंगे।
बहुत सरल विधि है और बहुत ही सरल मंत्र है बहुत ही ध्यान से आप इस मंत्र को सुनिए गा और उसके बाद जो भी विधि हम बता रहे हैं उसी के अनुसार आप इसको करिएगा।
"मंत्र उच्चारण बता रही हूं कृपया ध्यान दीजिएगा ॐ अच्युताय नमः ॐ गोविंदाय नमः ॐ अनंताय नमः मंत्र"
इसमें विष्णु भगवान के 3 नाम लिए गए हैं इन तीनों नामों का एक साथ आपको जाप करना है।
इस की प्रथम विधि मैं आपको बताती हूं सुबह सवेरे स्नान करके आप मंदिर में बैठ जाइए साफ स्वच्छ वस्त्र पहनने में स्वच्छ आपकी भावना हो मन में श्रद्धा और विश्वास हो एक कटोरी में जल और एक चम्मच आप अपने हाथ में ले लीजिएगा।
आप कटोरी के जल को चम्मच से अपने घर पर रखेगा और पहले आप बोलिएगा अच्युताय नमः उस जल को आप ग्रहण कर लीजिएगा फिर आप दोबारा चमक सेजल अपने हाथ पर लीजिएगा और आप बोलेगा ओम गोविंदाय नमः और फिर उस जल को ग्रहण कर लीजिएगा।
तीसरी बार चम्मच से जल आप अपने हाथ से लीजिएगा और फिर बोलेगा अनंताय नमः है तीन बार आपको जल ग्रहण करना है और एक विशेष बात ध्यान देने योग्य है कि आप की चम्मच आपके होठों पर ना लगे।
आप की चम्मच और आपका हाथ जिससे आपको हमें जल डाल रहे हैं वह होठों पर नहीं लगना चाहिए इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना है।
दूसरी विधि बताते हो एक कोरे कागज की किताब लेनी है यानी कोई कॉपी जिसके के पन्ने बिल्कुल खाली हो आप उसको सवेरे लेकर बैठी है और इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार उस कॉपी में लिखना है प्रातः काल नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर मंदिर में बैठ जाइए और कोरे कागज की कॉपी पर 108 बार इन मंत्रों को 3 लाइन का जो मंत्र है पूरा लिखना है।
कभी पूरी भर जाए तो आप उसको अपने घर में रख दीजिएगा आप देखेंगे कि आपके घर में से रोग और दोस्त बिल्कुल गायब ही हो गए हैं।
तीसरी विधि बताती हूं आपको यह मंत्र अगर लिखना भी नहीं है तो कोई बात नहीं आप एक स्थान पर जैसे सुबह बैठेंगे ना कर तो आप वहां पर भगवान के सामने संकल्प लीजिए कि मुझे 15 मिनट 20 मिनट 10 मिनट 30 मिनट समय आपने धारित कर लीजिए कि इतने निर्धारित समय तक में इस मंत्र का जाप करना चाहता हूं।
उतनी ही निर्धारित समय घड़ी देकर आप प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करें कम से कम आपको 15 मिनट करना है और ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट भी कर सकते हैं जितना भी आपको आपके पास समय और समय खुद निर्धारित करें और प्रतिदिन वहां बैठकर इस मंत्र का जाप करना है।
चौथी विधि आपको फिर बता रही हूं सारे दिन भी इस मंत्र का स्मरण कर सकते हैं यदि आपके पास प्रातः काल में समय नहीं है आपने 5 बार 10 बार इस मंत्र को बोला अगर आप वर्किंग है बाहर जाते हैं तो कोई बात नहीं शांति से आप अपने इस बीमारी का में बैठे हैं आंखें बंद करिए प्रभु का सिमरन करिए और उनके मंत्र का जाप करिए जब भी आपको समय मिलता है रात तक आप इस मंत्र का जाप किसी भी समय किसी भी स्थान पर कर सकते हैं सबसे प्रभावशाली विधि लेकिन प्रथम तीन है जो मैंने आपको बताई है उनमें से कोई एक भी कर सकते हैं जो भी कर सकते हैं टीम भी कर सकते हैं।
आप चारों की विधि कर सकते हैं और एक बात और है इस एक बात और है इस मंत्र का संकल्प आप किसी और के लिए भी ले सकते हैं या नहीं अपने किसी रिश्तेदार के लिए आप इस मंत्र का संकल्प लें उसके नाम का संकल्प मंत्र का जाप कर सकते हैं और विश्वास के साथ मनोकामना मेरी मनोकामना है मेरे शारीरिक कष्ट में रोग मेरे दोस्त सब दूर करें मैं आपकी शरण में हूं तो प्रभु यह संकल्प करके जवाब कार्य को करेंगे तो प्रभु आपके सारे कष्ट और रोगों का निवारण करेंगे।
विष्णु देव Vishnu Dev की रहस्य जानकारी जो बोहोत कम लोगो को पता हैं।
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विष्णु देव की रहस्य जानकारी जो बोहोत कम लोगो को पता हैं। |
सृष्टि की रचना करने वाले का नाम विश्वकर्मा है ऐसा जो गलत कृपया बनाता है जो कार्य है उसी की नाभि पर मेरे नाम का एक सोने का अंडा सोने के अंडे और सृष्टि की रचना हुई, आहिस्ता आहिस्ता विश्वकर्मा एक विशेषण बन गया और विश्वकर्मा की जगह यह उपाधि भगवान कृष्ण को दी गई।
भगवान विष्णु की नाभि पर जो हिरण्यगर्भा नाम का अंडा बैठा था वह ब्रह्मा में परिवर्तित हो गया एक तरफ जहां वेदों में भगवान विष्णु का जिक्र बहुत कम है वही वेदव्यास जी ने विष्णु पुराण गरुड़ पुराण भागवत पुराण आदि में भगवान विष्णु का बहुत बड़ा जिक्र किया है उन्होंने विष्णु स्वरूप में दिखाया है।
विष्णु का एक स्वरूप है महा विष्णु स्वरूप में सृष्टि का सारा तत्व बिश्नोई है ना सिर्फ इस ब्रह्मांड का परंतु सारे ब्रह्मांड का सारा तत्व भगवान विष्णु है और इस रूप को महा विष्णु का हक है।
भगवान विष्णु का दूसरा स्वरूप कक्षाएं विष्णु है जिसमें सारे तत्वों को अलग अलग था तू अलग अलग पदार्थों में अन्य प्रकार से जकड़ा गया इस गाने की ताकत को कब तक चाय विष्णु खा गया।
विष्णु का तीसरा स्वरूप श्री रोहतक शाय विष्णु है और इस ग्रुप में भगवान विष्णु सभी तत्वों के अंदर जाते हैं और उनके अंदर प्राण का संचार करते हैं और एनर्जी दोनों ही है विष्णु पुराण में विष्णु को काल भी कहा गया है समय का प्रतीक भी बिश्नोई है।
उसको समझना आसान नहीं है और इस वजह से भगवान विष्णु को जब दूर से देखते हैं तो वह अन्य देवी-देवताओं के जैसे ही प्रतीत होते हैं परंतु जब समझने लगते हैं तब आपको पता लगता है कि भगवान विश्नोई सब कुछ है।
सृष्टि सृष्टि के अंदर का प्लान है भगवान विराजते हैं अनंत भी कहा गया है जिसका कोई अंत नहीं है। इन दोनों की फोटो इमो पर इमो पर यदि आप कृपया मूर्ति देखे तो आपको यह ब्रह्मा के चार पुत्रों जैसा दिखाई देते हैं और सतगुरु भगवान विष्णु को अन्य देवताओं के साथ तुलनात्मक रूप से देखते हैं।
विष्णु देव ( Vishnu Dev ) को सबसे अधिक क्या पसंद हैं विस्तारी पूर्वक जानकारी।
सतयुग प्रारंभ होगा पुणे श्री भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरु ग्रह शांत करने में मदद मिलती है पीला रंग श्री विष्णु का प्रिय इस दिन पीले वस्त्र को धारण करें पीली चीजों से इनका पूजन करें जैसे अकेला पीले पुष्प बेसन के लड्डू या पीले मीठे चावल भगवान विष्णु की कृपा आप सब पर बनी रहे।
विष्णु देव ( Vishnu Dev ) की पूजा करने की सबसे खास बाटे जो कम लोग ही जानते हैं।
भगवान विष्णु वासुदेव परा वेदा वासुदेव परा मखा वासुदेव परा योगा वासुदेव परा है क्रिया वासुदेव परम ज्ञान वासुदेव परंतपा वासुदेव परमो धर्मो वासुदेव प्रगति है समस्त शास्त्रों का तात्पर्य यह है कि भगवान वासुदेव की एकमात्र भजन है।
समूह यज्ञ ज्ञान तपस्या आदि सभी कार्य भगवान वासुदेव परक है सभी धर्म कार्यों का पर्यावरण भगवान में है सृष्टि के आरंभ में भगवान ने लोगों के निर्माण की इच्छा की इच्छा होते ही उन्होंने महत्व आदि से निस्पंद पुरुष रूप ग्रहण किया।
आदि से निस्पंद पुरुष रूप ग्रहण किया 10 मिनट में एक मंच बहुत और 16 कलाएं योग्य दिव्य दृष्टि से भगवान की उस रूप के दर्शन करते हैं ग्रहों का वह रूप हजारों पर बजाओ और मूर्खों के कारण अत्यंत विलक्षण है उसमें शास्त्रों से हजारों का नजारों आंखें और नासिका है।
हजारों और कुंदन आदि आभूषणों से विभूषित रहता है भगवान का यही पुरुष रूप से नारायण कहते हैं यही पुरुष रूप जैसे नारायण कहते हैं उनके अवतारों का अक्षर गोश्त है इसी से सारे अवतार प्रकट होते हैं इस छोटे से छोटे कौन से देवता पशु पक्षी और मनुष्य आदि क्योंकि सृष्टि होती है।
प्रभु के गुण आ सकते हैं वैसे ही उनके नाम भी असंख्य है उनका एक-एक नाम एक-एक गुड़ का वाचक है और यह सारे के सारे नाम उन्हें एक परमात्मा के घोतक है वह तो केवल एक ही ईश्वर है जैसे परमात्मा ने इस जगत की सृष्टि की और कर रहा है इसलिए उनका एक नाम ब्रह्मा है जो खेल जगत निर्माण में प्रति वर्ष यह ब्रह्मा जो संपूर्ण जगत के निर्माण के द्वारा वृद्धि करें उसका नाम ब्रह्मा है।
परमात्मा सारे जगत में व्याप्त है इसलिए उनके सर्व व्यापक दारु पी गुण के कारण उनको विष्णु कहा जाता है क्यों भेजती हो प्रति चराचरम् जगत से विष्णु अर्थात इस चराचर जगत् में व्याप्त होने के नाते परंपरा को विष्णु कहा जाता है यही परमात्मा इस जगत का कल्याण करते हैं उनका नाम से भी है।
इसी पर अनंतपुर होने से उनके नाम भी अनंत है सार संत है यह सभी नाम चाहे वे किसी भी देश विदेश या भाषा में क्यों ना हो इसी के 1 नाम और गुड़ के विषय में कहे गए हैं बिल्कुल ठीक यह बातें परमात्मा की पूजा के संबंध में भी है एक समय सरस्वती के तट पर बसे ऋषि महर्षि और तपस्वी एकत्रित थे।
केबीसी है पर संगठन के ब्रह्मा विष्णु और शिव इन तीनों में श्रेष्ठ कौन है इसका परीक्षण करने और निर्णय लेने का दायित्व प्रभु जी पर छोड़ा गया प्रभु जी तीनों देवों से कल से हम मिले और अपने अपने व्यवहार से ब्रह्मा जी ने रूकता का शिव जी ने क्रूरता का और विष्णु ने क्षमा शीलता का परिचय दिया प्रभु जी ने परीक्षण के उपरांत निर्णय लिया इस त्योहार पर भी जो क्षमा शिवता दिखाएं उसे ही भगवान मानना चाहिए।
भगवान विष्णु महान है भगवान विष्णु संसार का पालन करते हैं तभी तो उन्हें क्षमा का परिचय दिया इसलिए इनमें विशेष सत्व गुण की प्रधानता है इस प्रकार प्रभु जी ने ब्रह्मा विष्णु और शिव तीनों महान विभूतियों का अलग-अलग परिचय पाकर इसी महत्व को सूचित किया कि अपने अपने गुणों के कारण ही विष्णु भगवान श्रेष्ठ है।
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