Krishna dev कृष्णा देव की पूरी सच्चाई जान कर हैरान हो जाओगे।
नमस्कार दोस्तो स्वागत है, आप सभी का मेरे इस ब्लॉग में जहा पर आप इस ब्लॉग में कृष्णा देव के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हो। कृष्णा देव कोन है, उनका क्या रहस्य है, उनकी पूजा करने की विधि क्या है, उने कैसे हम प्रसन्य करे पूरी जानकारी के साथ बने रहिए इस ब्लॉग में सुरु से लास्ट तक धन्यवाद।
![]() |
कृष्णा देव की पूरी सच्चाई |
कृष्ण देव Krishn dev को कैसे प्रसन्य करे? और जीवन का रहस्य।
- पूजा मन की साधना होती है परमात्मा पूजा करने वालों की भावना देखते ही पूजा करने वालों का प्रेम और भक्ति भाव देखते हैं, श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताते हैं कि मैं मनुष्य के 1 सप्ताह के अतिरिक्त कुछ नहीं चाहता कुछ नहीं मांगता।
श्री कृष्णा कहते हैं कि मनुष्य मेरे प्रति बड़े-बड़े चलावे नचरा केवल श्रद्धा और भक्ति भाव से एक फूल फूल की पत्ती चावल का दाना ही सही वक्त किस विद्या से कहीं अधिक श्रद्धा से स्वीकार करता हूं।
भगवान कहते हैं संकट में भक्ति का स्थान सबसे ऊंचा है किंतु वह वक्त भी आ सकती से रहित होनी चाहिए भक्ति का स्थान कितना ऊंचा है कि भगवान सच्चे भक्त भी स्वयं पूजा करते हैं कि भगवान एवं भक्तों के बीच एक पवित्री रिश्ता है।दोस्तों भगवान की सच्ची पूजा करने का सबसे पहला मार्क है श्रद्धा और केवल श्रद्धा है।
- दूसरा उपाय बताइए भगवान के बताए हुए मार्ग पर चलने हमने कभी विचार किया है कि भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था उसके जन्म लेने का काम किया था, हमें यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने का मुख्य उद्देश्य एवं निर्बलो की रक्षा करना था।
एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की अनेक समस्याओं में पूरे करें मेरा सो जाता है जीवन के युद्ध से पलायन करने का मन बना लेता है वैसे ही अर्जुन की भी थी और अर्जून महाभारत वह अपने सगे संबंधी एवं अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और सफेद हो गए थे।
यह स्थिति केवल अर्जुन की ही नहीं हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हटा सो जाते हैं या फिर अपनी समस्याओं से निराश होकर करते हुए मुक्त हो जाते हैं कभी-कभी मनुष्य अपने जीवन से हटाश हो कर आत्महत्या करने के बीच होते हैं ऐसी स्थिति में भगवत गीता का नाम सबसे उत्तम है भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो भगवत गीता का ज्ञान दिया वह केवल अर्जुन के लिए नहीं बल्कि सारी मनुष्य जाति के लिए दिया गया था।
भगवत गीता में मनुष्य के सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता में मनुष्य जाति के कल्याण एवं धर्म पर रहने के सारे रास्ते दिखाए हैं इसीलिए दोस्तों श्रीमद्भगवद्गीता के बताए हुए मार्ग पर चलकर जीवन की समस्याओं से लड़ कर सफल होना चाहिए।
कृष्ण देव Krishn dev की रहस्य जानकारी जो बोहोत काम लोगो को पता हैं।
![]() |
कृष्ण देव की रहस्य जानकारी जो बोहोत काम लोगो को पता हैं। |
यह है भगवान श्री कृष्ण का नीले होने का रहस्य।
दोस्तों भगवान कृष्ण दुनिया के सबसे बड़े रहस्य हैं उनके जीवन से जुड़े राज हर किसी को हैरान करते रहते हैं दोस्तों इस वीडियो में मैं आपको 3112 की संपूर्ण हुए भगवान श्री कृष्ण के उन रहस्यों के बारे में बताने वाला हूं जो आपको हैरान कर देंगे।
- नीले रंग के थे भगवान श्री कृष्ण दोस्तों भगवान श्री कृष्ण जिन्होंने धरती पर अवतरित होकर बाप का विनाश किया था श्रीकृष्ण की लीलाओं की कोई सीमा नहीं है उनके बारे में जितना भी जानेंगे उतनी ही आपकी रुचि बढ़ती जाएगी जब भी हम भगवान कृष्ण की कोई प्रतिमा या किसी चित्र को देखते हैं तो हमें यही देखने को मिलता है कि हर जगह उन्हें नीले रंग में ही दर्शाया गया है।
- अब सवाल यह आता है कि इस नीले रंग का रहस्य क्या है क्यों उनके देश का रंग नीला है हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर भगवान कृष्ण या विष्णु का रंग नीला क्यों है सबसे पहले तो बता दे कि कृष्ण की इस नीले रंग के पीछे कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं जिनमें से एक के अनुसार विष्णु जी का संबंध पानी से है इसलिए जितनी भी अवतार हैं उनमें से लगभग सभी का रंग नीला है।
- जल से जब हम विष्णु जी के नीले रंग की तुलना करते हैं तो हमें जीवन के प्रति एक और नजरिया मिलता है और वह यह कि जिस तरह पानी हर एक चीज को खुद में खोल कर दी अपना अस्तित्व बचाए रखता है एक अन्य पौराणिक कथा में इस बात का जिक्र किया गया है कि भगवान विष्णु ने देवकी के गर्भ में दो बाल रुपए थे इनमें से एक का रंग काला और दूसरे का रंग सफेद था।
- चमत्कारिक तरीके से दोनों ही बाल रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित हो गए और काले रंग के बाल से श्याम वर्ण के कृष्ण का जन्म हुआ और सफेद बाल से बलराम पैदा हुए इस नीले रंग के पीछे एक और मान्यता है और वह यह कि प्रकृति की अधिकतर रचनाओं का रंग नीला है।
जैसे समुंदर या नदी का पानी आसमान समान यानी कि जून में धैर्य साहस समर्पण जैसी भावनाएं हैं उन्हें नीले रंग में दर्शाया जाता है। भगवान कृष्ण के भीतर यह सभी गुण मौजूद हैं और इसी के चलते उन्हें नीले रंग से दर्शाया जाता है
- श्री कृष्ण से जुड़ा है 786 नंबर आमतौर पर लोग 786 नंबर को इस्लाम धर्म से जोड़कर देखते हैं उनकी नजर में 786 का बहुत महत्व है अधिकतर लोग इस नंबर के नोट अपने पास सहित कर रखते हैं तो वहीं कई लोग अपनी गाड़ियों का नंबर भी यही रखते हैं आपको जानकर हैरानी होगी कि 786 नंबर का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी है।
मुस्लिम धर्म के लोग 786 नंबर को बिस्मिल्लाह का रूप मानते हैं कहते हैं कि अरबिया उर्दू में बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम को लिखने पर उसका योग 786 आता है यही वजह है कि इस नंबर को इस्लाम सबसे बात मानता है।
कोलकाता का पुल बताई नहीं एक किताब में लिखी है जिसका नाम है 10 जीवेश माइंड इस किताब में लिखा है कि अगर हिंदी में 786 नंबर की आकृति पर गौर किया जाए तो यह बिल्कुल संस्कृत में लिखा हुआ ओम दिखाई देगा।
माना जाता है कि 786 नंबर का संबंध है भगवान श्रीकृष्ण से भी है पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण 7 क्षेत्रों वाली बांसुरी को अपने हाथों की तीन-तीन यानी से उंगलियों से बचाया करते थे और वे देवकी के आठवें पुत्र थे इन तीनों आंकड़ों को जोड़ें तो कुल योग 786 बनता है।
- समंदर में डूब गई द्वारिकापुरी दोस्तों भगवान श्रीकृष्ण से जुडी तमाम कहानियां आज भी काफी प्रचलित है कि श्रीकृष्ण की नगरी समुद्र में कैसे डूब गई यह एक बड़ा रहस्य है जिसे आज तक कोई नहीं समझ पाया श्री कृष्ण ने जब मथुरा नगरी छोड़ी थी तो उन्होंने द्वारका को अपना निवास बनाया था।
आज से हजारों साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने इसे बसाया यहीं बैठ कर उन्होंने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली पांडवों को सहारा दिया धर्म और अधर्म की लड़ाई में धर्म की जीत कराई इस स्थान का धार्मिक महत्व तो है ही रहस्य भी कम नहीं है इस मामले में वैज्ञानिकों के रिसर्च बताती है कि यह युग समाप्त होने के बाद समुद्र का जलस्तर बढ़ा था इससे दुनिया भर में कई तटवर्ती शहर समुद्र में डूब गए।
द्वारिकापुरी भी उनमें से एक है हरि को लेकर संशय बना हुआ है दरअसल महाभारत का इतिहास 5000 साल पुराना है जबकि 10000 साल पहले समाप्त हो गया था इस मामले में पौराणिक मान्यता है कि श्री कृष्ण ने जब मथुरा छोड़ा तब यदुवंशियों की रक्षा के लिए अपने भाई बलराम के साथ मिलकर द्वारिकापुरी की नींव रखी थी।
कृष्ण देव Krishn dev की पूजा में क्या नहीं करना चाहिए।
![]() |
कृष्ण देव की पूजा में क्या नहीं करना चाहिए। |
दोस्तों आज हम इस ब्लॉग में आपको बताएंगे श्री कृष्ण की पूजा विधि हम सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु के अवतार में जन्म लेकर दुनिया को संकट से बचाया अपने खास हैं सबसे अधिक लोकप्रिय अवतार श्री कृष्ण को माना गया है।
कहते हैं अगर आप ठाकुर जी की सेवा यदि मन लगाकर की जाए तो घर में कभी धन धन और सुख समृद्धि की कमी होती है तो आइए बताते हैं कि ठाकुर जी की पूजा के लिए कौन सी चीजें हैं जो जरूरी है।
- पूजा से पहले हाथों को जल्द होने की क्रिया में उपयोग किए जाने वाले जल को आत्मीय कहा जाता है यह शुभ जन्म और सुगंधित फूलों का मिश्रण होता है। कृष्ण पूजा में सबसे जरूरी माना जाता है असल में जिस पर भगवान श्री कृष्ण की स्थापना की जाती है बता दीजिए आसन कारण अगर तेज और चमकीला जैसे कि लाल पीला नारंगी हो तो बहुत बेहतर माना जाता है।
- जिसमें भगवान कृष्ण के पांव छुए जाते हैं ध्यान रहे की पूजा करने से पहले पार्क में स्वच्छ जल फूलों की डाल कर धोए। चीनी के मिश्रण से पंचामृत बनाए हैं और उसे भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाए।
अष्टमी के मौके पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने के लिए भक्त उनकी मूर्ति घर में स्थापित करते हैं आज हम आपको बताएंगे कि अगर आप भी इस साल भगवान कृष्ण की मूर्ति बाजार से घर लेकर आ रहे हैं तो किस तरह से मूर्ति स्थापित करनी चाहिए और उसके बाद कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।
- अगर आपके घर में किसी देवी देवता की मूर्ति स्थापित हुई है तो उसके लिए फास्ट पूजा-अर्चना करनी होती है कम ही लोग जाते हैं कि भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित करने के बाद क्या करना चाहिए बता दें कि जैसे घर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित की गई है घर में बांसुरी जरूर होनी चाहिए कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण बांसुरी की धुन से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते है।
- अगर आप अपने घर में बांसुरी रखते हैं तो वह आपके प्रति भी आकर्षित होते हैं ऐसे में श्री कृष्ण जी की मूर्ति के अलावा घर में लकड़ी की बांसुरी जरूर रखें भगवान श्री कृष्ण और बड़ों से बेहद प्रेम करते थे।
दूध और दूध से बने पदार्थ पसंद थी इसी कारण घर के मंदिर में गाय और बछड़े की जोड़ी जरूर रखें वही घर में मोर पंख भी रखना उचित माना गया है कहा जाता है कि मोर पंख रखने के बाद आपके परिवार पर खुशियों की बारिश होने लगती है।
- साथी मोर पंख के अलावा घर में कमल का फूल भी रखें क्योंकि कमल का फूल कीचड़ में उगता है और जीवन के संघर्ष और विजय होने का प्रतीक है।
भगवान की मूर्ति पर रोजाना घर का बना माखन और मिश्री का भोग लगाएं धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि श्री कृष्ण जी अपने गले और कलाई पर वैजयंती माला पहनते हैं ऐसे में घर के मंदिर में वैजयंती जरूर रखनी चाहिए भगवान श्री कृष्ण को राधा बहुत प्रिय है तो घर में राधा की मूर्ति भी होनी जरूरी है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म का रहस्य।
बढ़िया जानकारी है भगवान श्री कृष्ण जी के बारे में कि भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म कहां हुआ था और भगवान श्री कृष्ण जी के जन्म देने वाले माता पिता का नाम क्या है और भगवान श्री कृष्ण जी को पालन करने वाले माता-पिता का क्या नाम है और भगवान श्री कृष्ण जी का पालन कहां पर हुआ था चलिए आप लोगों को यह सब जानकारी इस ब्लॉग में बताने जा रहे हैं।
भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था। मथुरा में मतलब जेल की चारदीवारी चारदीवारी में उनका जन्म हुआ था और उनके जन्म देने वाले माता का नाम देवकी और पिता का नाम वासियों वासुदेव था।
अक्षरा जॉन के भगवान श्री कृष्ण जी के मामा जी लगते थे उनके डर के कारण वासुदेव जी भगवान श्री कृष्ण जी के पिताजी उनको कृष्ण जी को अपने मित्र नंद के यहां पालन पोषण के लिए तरस गए थे।
गोकुल भगवान श्री कृष्ण जी को उनके पिताजी अपने दोस्त नंद को सौंप दिए थे कि उनका पालन पोषण करें ताकि वह बड़ा हो सके गोकुल में उनकी पालन पोषण करने वाले माता-पिता हुए जिनका नाम माता का नाम जसोदा और पिताजी का नाम हुआ हेलो दोस्तों आप लोगों को यह जानकारी जान कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं।
✓Read More... और भी पढ़े >>
- Maa kali माँ काली के बारे में सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जनकारी।
- Ganesh श्री गणेश के बारे में सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जनकारी।
- घर में लक्मी माँ कैसे आती हैं जानिए रहस्य विस्तार से।
thanks for valuable comments