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Maa kali ke bare me puri jankari

काली जी Kali ji के बारे में वह क्या हैं?  पूरी जानकारी के साथ।

नमस्कार दोस्तो स्वागत है, आप सभी का मेरे इस ब्लॉग में जहा पर आप इस ब्लॉग मेंमाँ काली जी Maa kali ji के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
माँ काली जी Maa kali ji कोन है, उनका क्या रहस्य है, उनकी पूजा करने की विधि क्या है, उने कैसे हम प्रसन्य करे पूरी जानकारी के साथ बने रहिए इस ब्लॉग में सुरु से लास्ट तक धन्यवाद।

माँ काली जी Maa kali ji सच्चाई जान कर हैरान हो जाओगे।

शास्त्रों के अनुसार मां भगवती ने दुष्टों का अंत करने के लिए विकराल रूप धारण कर लिया था जिन्हें मां काली के नाम से जाना जाता है इनकी आराधना से मनुष्य के सभी है सभी दुख दूर हो जाते हैं मां दुर्गा का विकराल रूप है मां काली और यह बात सभी जानते हैं कि दुष्टों का संहार करने के लिए माने यह धूप धरा था।
शास्त्रों में मां के शुरु को धारण करने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं और उनका व्याख्यान भी यहां मिलता है आइए जान लेते हैं मां के इस भयंकर रूप के पीछे की कथा क्या है।
एक बार दारु धाम के असूल है धम्मा को प्रसन्न किया उनके द्वारा दिए गए वरदान से वह देवों और ब्राह्मणों को पहले की अग्नि के समान दुख देने लगा उसने सभी धार्मिक अनुष्ठान बंद करा दिए और स्वर्ग लोक में अपना राज्य स्थापित कर दिया सभी देवता ब्रह्मा और विष्णु के धाम पहुंचे ब्रह्मा जी ने बताया कि यह गिफ्ट केवल श्री द्वारा मारा जाएगा।
ब्रह्मा विष्णु सहित सभी देवी स्त्री रूप धरकर दुष्ट तारों को मारने चलेगा वह तो यह अत्यंत बलशाली था ब्रह्मा विष्णु समेत भगवान शिव के धाम कैलाश पहुंचे उन्हें दे दारू के विषय में बताया भगवान शिव ने उनकी बात सुन ली और मां पार्वती की ओर देखा और कहा कि कल्याणी जगत के हित के लिए और दुष्ट तारों के पद के लिए मैं तुम से प्रार्थना करता हूं।
यह सुन मां पार्वती मुस्कुराई और अपने एक अंश को भगवान शिव में प्रवेश कराया जिस मां भगवती की माया को केंद्र आज देवता और ब्रह्मा नहीं देख पाए उन्होंने देवी को शिव के पास बैठे देखा मां भगवती का यह बारिश भगवान शिव के शरीर में प्रवेश कर उनके कंठ में स्थित विश्व से अपना आकार धारण करने लगा।
विष के प्रभाव से पुकारे वर्ड में परिवर्तित हुआ भगवान शिव ने विष को अपने भीतर महसूस कर अपना तीसरा नेत्र खोला उनके नेतृत्व आरा भयंकर विकराल रूप ही काले भवन वाली मां काली पर हुई। 
काली मां काली मां काली पल हुई मां काली के ललाट में तीसरा नेत्र और चंद्र देखा थी गंज में कराल विश का चिन्ह था और हाथ में त्रिशूल बनाना प्रकार के आभूषण और वस्त्रों से वह सुशोभित ही मां काली के भयंकर और विशाल रूप को देखकर देवता प्रसिद्ध लोग भागने लगे।

मां काली के केवल हुंकार मात्र सिद्धारूद समेत सभी असूस सेना जलकर भस्म हो गई मां की क्रोध की ज्वाला से संपूर्ण लोग जलने लगा उनके क्रोध से संसार को जलते देव भगवान शिव ने एक बालक का रूप धारण किया शिव शमशान पहुंचे और वहां लेट कर रोने लगे। 
तब मां काली ने शिव रूपी इस बालक को देखा तो वह उनके उस रूप पर मोहित हो गए वात्सल्य भाव से उन्होंने शिव का अपने ह्रदय से लगा लिया तथा अपने स्तनों से उन्हें दूध पिलाने लगी भगवान शिव ने दूध के साथ ही उनके क्रोध को भी पी लिया उनके उस क्रोध से आज मूर्ति हुई जो क्षेत्रपाल कहलाए शिव जी द्वारा मां काली का क्रोध भी जाने के कारण वह मूर्छित हो गई देवी को होश में लाने के लिए शिवजी ने शिव तांडव किया।
होश में आने पर मां काली में जब शिव को नित्य करते हुए देखा तो वह भी नाचने लगी जिस कारण उन्हें योगिनी भी कहा जाता है।

काली जी Kali ji  की रहस्य जानकारी  जो बोहोत काम लोगो को पता हैं।

देवों के देव महाकाल की काली काली से अभिप्राय समय अथवा काल से दोस्तों का हलवा होता है जो सब कुछ अपने में ही निकल जाता है अथवा काली भयानक एवं विकराल रूप वाले शमशान की देवी हैं दोस्तों वेदों में बताया गया है कि समय ही आत्मा होती है तथा आत्मा को ही समय कहा जाता है।
दोस्तों माता काली की उत्पत्ति धर्म की रक्षा योगियों के सर्वनाश के लिए माता काली 10 महाविद्याओं में से एक हैं तथा उन्हें देवी दुर्गा की महामाया कहा जाता है दोस्तों कलयुग में तीन देवता को जागृत बताया गया है पहले हैं हनुमान दूसरे हैं मां काली तथा तीसरे हैं दोस्तों माता काली का तलवार तथा त्रिशूल है वह माता का वार शुक्रवार है माता काली का दिन अमावस्या कहलाता है।
माता काली के 4 रूप में पहला है दक्षिण काली दूसरा है श्मशान काली तीसरा है मात्र काली और चलता है महाकाली महाकाली की उपासना जीवन में सुख शांति शब्द तथा विद्या देने वाली बताई गई है।
हमारे हिंदू सनातन धर्म में बताया गया है कि कलयुग में सबसे ज्यादा जागृत देवी मां काली हो मां काली की पूजा बंगालियों असम में बहुत ही भव्य एवं धूमधाम से मनाई जाती दोस्तों माता काली के दरबार में जब भी कोई अब एक बार चला जाता है तो हमेशा के लिए वहां उसका नाम व पता दर्ज हो जाता है।
माता के दरबार में यदि दान मिलता है तो दोस्तों दंड भी प्राप्त होता है दोस्तों यदि माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है तो माता पुरुष करने पर साथ ही भुगतना पड़ता है यदि आप माता काली के दरबार में जो भी वादा पूर्ण करने आए हैं उसे अवश्य पूर्ण करें यदि आपकी मनोकामना पूर्ति के बदले माता को कोई वचन पूर्ण करने के लिए कहते हैं। तो अवश्य पूर्ण करें अथवा माता गुजराती दोस्तों जो एक निश्चित सत्यवादी तथा अपने वचन का पक्का होगा माता उसकी मनोकामना भी अवश्य पूर्ण करें।

माता के जन्म के संबंध में दो कथाए। 

  • अत्यधिक प्रचलित पहली कथा के अनुसार माता ने राजा दक्ष के घर में सती के रूप में जन्म लिया था, तथा इसके बाद यज्ञ के अग्नि कुंड में कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
  • दूसरी कथा के अनुसार माता ने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया था इस जन्म में माता का नाम पार्वती दोस्तों दक्ष प्रजापति ब्रह्मा के पुत्र ने उनके दत्तक पुत्री थी शक्ति जिन्होंने तब करके शिव को अपना पति बनाया।
लेकिन शिव की जीत केवल सैनिक दक्ष को बिल्कुल नापसंद शिव और सती का अत्यंत सुखी दांपत्य जीवन का पर शिव को बेइज्जत करने का ख्याल तहे दिल से नहीं गया तथा इसी मंशा से उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन करवाया जिसमें भगवान शिव और सती को छोड़कर सभी देवताओं को निमंत्रित किया गया।
दोस्तों जब शादी को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने उस यज्ञ में जाने की था अथवा शिव से अनुमति मांगी तो भगवान शिव ने उन्हें साफ मना कर दिया उन्होंने कहा कि जब हमें बुलाया ही नहीं है तो हम वहां क्यों जाए इस पर सती ने कहा।
वह मेरे पिता है वह चाहे मुझे बुलाया ना भुलाए वहां मैं जा सकती हूं लेकिन भगवान शिव ने उन्हें वहां जाने से मना कर दिया दोस्तों तो माता सती को क्रोध आ गया और क्रोधित होकर वह कहने लगी कि मैं दक्ष यज्ञ में जाऊंगी और उनसे अपना हिस्सा लूंगी नहीं तो हंस कर दूंगी।
दोस्तों वह पिता और पति के इस व्यवहार से इतनी आहत हुई क्यों उनकी आंखें क्रोध से लाल हो गए वक्र दृष्टि से शिव को देखने लगी उनके होंठ फड़फड़ाने लगी फिर उन्होंने इतना भयानक अट्टहास किया कि स्वयं भगवान शिव भी भयभीत हो गए।
इधर-उधर भागने लगे दोस्तों उधर रोज से सती का शरीर चलकर काला पड़ गई उनके इस विकराल रूप को देखकर भगवान शिव तो भाग चले लेकिन जिस भी दिशा में वह जाते हैं वहां उन्हें एक न एक भयानक देवी उनका रास्ता रोक कर खड़ी हो जाती दोस्तों में दसों दिशाओं में भागी और दसों देवियों ने उनका रास्ता रोका।

मां काली के 10 रूप जो भगवान शिव को दिखाए थे।

अंत में वह सभी माता काली में आ मिली दोस्तों हारकर शिव शक्ति के सामने आकर खड़े हो गए उन्होंने माता सती से पूछा यह कौन है दोस्तों तब माता सती ने बताया यह मेरे दसरू आपके सामने खड़ी कृष्ण रंग की काली है, आपके ऊपर नीले रंग की तरह है पश्चिम में छिन्नमस्ता बाय में भुवनेश्वरी पीठ के पीछे बगलामुखी पूर्व दक्षिण में धूमावती दक्षिण पश्चिम में त्रिपुरसुंदरी पश्चिम उत्तर में मातंगी तथा उत्तर पूर्व में पोषणीय और मैं खुद रूप में अभय दान देने के लिए आपके सामने खड़ी हूं।
दोस्तों माता का विकराल रूप देखकर भगवान शिव कुछ भी नहीं कह पाए और माता दक्ष यज्ञ में चली गई, माता काली दुखों को तुरंत दूर कर दे महाविद्याओं में मां काली के साधक अत्यधिक महत्व देते हैं क्योंकि मां काली ही एक ऐसी देवी है जो अति शीघ्र अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाती हैं यदि साधक सही प्रकार से संपन्न की जाए तो माता के आशीर्वाद से साधक अष्ट सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है।
मां काली की साधना के लिए किसी के निर्देश अथवा किसी उच्च कोटि के साधन की आवश्यकता है अनिवार्य है अन्यथा चूक होने पर साधना के विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।

काली जी ( Kali ji ) को सबसे अधिक क्या पसंद हैं विस्तारी पूर्वक जानकारी।

  • सबसे पहली चीज जो हर भक्त को समझनी चाहिए की विधि विधान जो हम मां की पूजा में पालन करते हैं उसके साथी हमारी समझ मां के प्रति हमारी भक्ति कितनी परिपक्व है इस चीज को समझना जरूरी है कितना समझ पा रहे हैं मत समझ को हमें विकसित करना है और यह उसी प्रकार आपको करना है जिस प्रकार भगवान गणेश ने अपने माता पिता के महत्व को समझाता बहुत रोचक प्रसंग है आप सुनेंगे तो बातों की गहराई तक पहुंच पाएंगे।..........
  • इस तरह की एक बार समस्त देवताओं में इस बात पर विवाद हुआ की धरती पर किस देवता की पूजा सबसे पहले की जाए सभी देवगण अपने को सर्वश्रेष्ठ बता रहे थे उनके इस विवाद को देखते हुए भगवान शिव ने एक उपाय निकाला उन्होंने सभी देवताओं को कहा।
इस पूरे ब्रह्मांड की जो सबसे पहले सात बार परिक्रमा करेगा वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा सभी देवगण अपने-अपने वाहनों में परिक्रमा करने निकल पड़े लेकिन गणेश जी ने बाकी देवताओं की तरह पूरे ब्रह्मांड की सात परिक्रमा करने के स्थान पर अपने माता पिता यानी शिवजी और पार्वती की सात बार परिक्रमा कर ली और हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
अब जब सारे देवगढ़ घमंड की सात बार परिक्रमा करके वापस पहुंचे भगवान शिव और माता पार्वती के पास तो भगवान शिव ने श्री गणेश को प्रतियोगिता का विजेता घोषित कर दिया सभी देवता अचंभित हो गए और भगवान शिव से इसका कारण पूछने लगे।
तब शिवजी ने बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्मांड में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है माता-पिता समस्त सृष्टि से सभी देव गणों से उच्च स्थान पर है और इसीलिए भगवान गणेश उस प्रतियोगिता के विजेता बने और सभी देशों में प्रथम पूजनीय बने।
तो दोस्तों गणेश जी की जो परिपक्वता थी अपने माता पिता के प्रति उनका समर्पण और आदर भाव था वह उन्हें उच्चतम शिखर पर ले कर ठीक यही समझ यही भाव आप लोगों को रखना है मां के प्रति और मां के प्रति अगर इसी प्रकार का भाव विकसित हो गया तो विधि-विधान भी पीछे छोड़ जाते हैं यानी फिर कहीं भी किसी भी स्थिति में मां को याद करेंगे तो अवश्य उसका प्रतिफल आपको मिलेगा जितनी ज्यादा पर इतना ज्यादा समर्पण आपका मामी होगा अपनी भक्ति पर जितना ज्यादा विश्वास होगा उतना ही जाएंगे और तक पहुंचने का यह सबसे आसान रास्ता है।
  • काली मां की पूजा में जब भी आप बैठे तो अवश्य करें किसी भी देवी देवता की पूजा में आवान अवश्य होना चाहिए चाहे आप मंत्रों से या दान करें या अपनी भाषा में अपने भाव से आवान करें लेकिन आवान देवी देवता का जिसकी भी आप पूजा कर रहे हैं उसका अवश्य करना चाहिए मां काली का आह्वान मंत्र भी है मैंने आपको पहले उसने बताया वह काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी देवी नारायणी नमोस्तुते अपनी भाषा में करे।
किस प्रकार बोल सकते हैं कि हे मां काली मैं आपके सर्वशक्तिमान आदि शक्ति स्वरूप का आह्वान करता हूं या 1 करती हूं आपको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं आप आए घर करें और मेरी पूजा मेरे समर्पण को स्वीकार करें तो इस प्रकार अपना को बुला जरूर आएंगे और आपकी पूजा को स्वीकार करेंगी।
  • तीसरा रास्ता जो मां के बहुत करीब ले जाता है आपको जो भी आपने नियम बांधे देमार्केशन उस पर आपको अटल रहना मां के भक्तों को मां के मंदिर अवश्य जाना चाहिए और हर शनिवार मां के मंदिर जाने का नियम आप अवश्य बना ले हर शनिवार नहीं जा सकते हैं तो महीने में दो बार या तीन बार मां के मंदिर आपको जरूर जाना चाहिए और इस नियम का पालन आपको जरूर करना चाहिए।
ऐसा ना हो कि जब आपकी मनोकामना पूरी हो गई यह संकल्प पूरा हो गया उसके बाद आपने जाना छोड़ दिया जो आपका मां के प्रति प्रेम है वहीं कंडीशनर होना चाहिए बिना शर्त होना चाहिए जो नियम आपने बांधे में उस पर अटल रहे नहीं तो व्यवधान आते हैं दिक्कतें आती है और भक्तों को लगता है कि मैं नाराज हो गई।
ऑफिस तरह-तरह के लोग बहन पा लेते हैं दोस्तों मां को नाराज कर ली होती ही नहीं है, लेकिन जो आपका एप्लीकेशन एक एनर्जी लेवल पर ऊर्जा स्तर पर जो मां के साथ रिलेशन है, वह बाधित हो जाता है और मां की कृपा जो बरसा रही है उसको आप अनुभव नहीं कर पाते हैं उसमें और कल आ जाते हैं जीवन में दिक्कत शुरू हो जाती है और यह जो भी कुछ नहीं बता रही हूं।
जिस पर मैं आपको बता रही मां की पूजा में बहुत गहराई से जिन चीजों को मैंने अनुभव किया दोस्तों को ही आपको बता रही।
  • चौथी चीज जो आपको मां के करीब ले जाती है जिसका आपको ध्यान रखना है कि महीने में कम से कम एक बार मां को बलि जरूर साथ एक बलि दे अनार की नींबू की जायफल की बलि दे सकते हैं बलि देने का अर्थ है कि अपने अंदर की सारी नकारात्मकता की सारी विकारों की बलि देना मां का तो स्वरूप ही बुराइयों पर विजय का है राक्षसों का अंत करने में तुम हमारे अंदर के जो राक्षसी काम है काली मां के चरणों में देनी है और यही है मां को बलि चढ़ाने का अर्थ।
जितना निर्मल जितना शुद्ध जितना भोला का मन होगा उतना ही ज्यादा मां से आपके संबंध प्रगाढ़ होंगे। 
  • पांचवा रास्ता जो आप को चुना है जो माता पहुंचने का बहुत ही सरल रास्ता है और सब कुछ आपके हाथ में है वो रास्ता दूसरो की मदद करें जितना हो सके आपके दरवाजे पर आए तो उसे निराश ना कुछ जरूर दें दोस्तों हम लोग मानते हैं कि हमारी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती है अपनी तरफ से तो हम लोग जाते हैं ऐसा नहीं करना है आपको कुछ देना भी पड़ेगा।
पैसों की बचत है तो पैसों की कमी कोई जरूरी नहीं कि हर समय पैसों की मदद हो भावनात्मक स्तर पर किसी को आपकी जरूरत हो सकती है आपकी सलाह की जरूरत हो सकती है सपोर्ट की जरूरत हो सकती है शारीरिक स्तर पर किसी को सेवा की जरूरत हो सकती है।
और सभी मां की संताने हैं, यदि आप किसी की मदद करते हैं तो वहीं मदद कई गुना ज्यादा फलीभूत होकर आपके पास वापस लौटती है खासकर जब आप मां की भक्ति में होते हैं तो आपके कर्मों का कई गुना ज्यादा फल आपको मिलता है और यह अटल सत्य है तो अपने कर्मों के प्रति जागरूक रहें अच्छे कार्य करें आप देखेंगे कि मां के साथ आपका संबंध बहुत ही ज्यादा घनिष्ठ होता चला जाएगा आपकी हर जरूरत हर इच्छा माता पहुंचते ही पूरी हो जाएगी और आपका जीवन धन्य हो जाएगा।

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